Tuesday, 20 December 2016

अर्जुन के गांडीव धनुष की ये बातें जानकर हैरान रह जाएंगे।

महाभारत के महायुद्ध में अर्जुन ने गांडीव धनुष से कौरवों की व‌िशाल सेना को पराज‌ित करके व‌िजय हास‌िल की। इस धनुष के कारण ही उन द‌िनों सभी अर्जुन को महान धनुर्धर मानते थे। आइये जानें क‌ि इस धनुष में ऐसी क्या खूबी थी ज‌िससे इसकी आवाज से ही शत्रु भयभीत हो जाते थे।


महाभारत के महायुद्ध में अर्जुन ने गांडीव धनुष से कौरवों की व‌िशाल सेना को पराज‌ित करके व‌िजय हास‌िल की। इस धनुष के कारण ही उन द‌िनों सभी अर्जुन को महान धनुर्धर मानते थे। आइये जानें क‌ि इस धनुष में ऐसी क्या खूबी थी ज‌िससे इसकी आवाज से ही शत्रु भयभीत हो जाते थे।


 भगवान राम को यह धनुष भगवान श‌िव के अंशावतार परशुराम जी से उस समय प्राप्त ‌हुआ था जब सीता स्वंवर में भगवान राम ने श‌िव जी का धनुष तोड़ा और परशुराम जी वहां उपस्‍थ‌ित हुए।


यह धनुष राम जी से अर्जुन के पास कैसे पहुंचा इससे पहले यह जान लीज‌िए क‌ि परशुराम जी के पास यह द‌िव्य धनुष कहां से आया था।




व‌िष्‍णुधर्मोत्तर पुराण के प्रथम खंड में इस बात का उल्लेख क‌िया गया है क‌ि परशुराम जी को यह द‌िव्य धनुष भगवान श‌िव ने पाताल में मौजूद राक्षसों का अंत करने के ल‌िए द‌िया था।



 भगवान श‌िव को यह धनुष उस समय भगवान व‌िष्‍णु से म‌िला था जब भगवान व‌िष्‍णु और श‌िव जी में युद्ध हुआ था और दोनों बराबर रहे थे। युद्ध के बाद भगवान व‌िष्‍णु ने अपना धनुष श‌िव जी को और श‌िव जी ने अपना धनुष व‌िष्‍णु भगवान को दे द‌िया था।



 बाद में यही धनुष वरुण देव ने अर्जुन को द‌िया ज‌िसे स्वर्ग जाते समय अर्जुने वरुण देव को लौटा द‌िया था।

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